Wednesday, October 10, 2012

मेरे कवि : मेरे आराध्य

मेरे कवि : मेरे आराध्य

सुनु सिन्धु मैं क्या गर्जन तुम्हारा,
स्वयं युग-धर्म की हुँकार हूँ मैं!
XXX
मैं छिपाना जानता, तो जग मुझे साधू समझता,
शत्रु मेरा बन गया है छल-रहित व्यव्हार मेरा I

 

मधुबन भोगें, मरू उपदेशें
मेरे वंश रिवाज़ नहीं है ;
मैं सुख पर, सुषमा पर रीझा
इसकी मुझको लाज नहीं है I
       -डॉ. हरिवंश राय बच्चन

خود بگچوں کی شیر کرو
دنیا -جہاں کو ریگستانو میں بھٹکنے کی نصیحت دو
میرے خاندان کا رواز نہیں
اگرچے میں کوبصورتی پر فدا ہا
مجھے اسکے حیاء نہیں                  - دوکتور حرونش رہے بچچاں


Yourself dwell in the cool shadow of an oasis
Preach others to roam in deserts
Is not the tradition of my family
I do adore the Bliss of Beauty
But I am not ashamed
-  Dr. Harivansh Ray Bachchan

मेरे कवि : मेरे आराध्य

'जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को,
जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को।
किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल,
सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल।
 
ऊँच-नीच का भेद माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग,
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 2
तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के,
पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के।
हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक,
वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक।
नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में,
अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।
समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल,
Gudadi में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल।
रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 3
  'जाति! हाय री जाति !' कर्ण का हृदय क्षोभ से डोला,
कुपित सूर्य की ओर देख वह वीर क्रोध से बोला
'जाति-जाति रटते, जिनकी पूँजी केवल पाषंड,
मैं क्या जानूँ जाति ? जाति हैं ये मेरे भुजदंड।

'
ऊपर सिर पर कनक-छत्र, भीतर काले-के-काले,
शरमाते हैं नहीं जगत् में जाति पूछनेवाले।
 

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अपना ग़म लेके कहीं और जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये
जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ़ नहीं
उन चिराग़ों को हवाओं से बचाया जाये
बाग में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को फूलों से उड़ाया जाये
ख़ुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में
और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये

             - निदा फ़ाज़ली

9426629786
KENDRIYA VIDYALAYA No. 3 Jamnagar
AF - II Udhyognagar
Jamnagar , Gujarat - 361004
Pl. visit the Project:
Let's Make This World Terror-Free at
http://www.thinkquest.org/pls/html/think.go?c=574157485

Pl. visit
Save Tiger::Save Humanity at
http://www.thinkquest.org/pls/html/think.go?c=581661405

Jan, 2011

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