Wednesday, October 10, 2012

मेरे कवि : मेरे आराध्य

मेरे कवि : मेरे आराध्य

सुनु सिन्धु मैं क्या गर्जन तुम्हारा,
स्वयं युग-धर्म की हुँकार हूँ मैं!
XXX
मैं छिपाना जानता, तो जग मुझे साधू समझता,
शत्रु मेरा बन गया है छल-रहित व्यव्हार मेरा I

 

मधुबन भोगें, मरू उपदेशें
मेरे वंश रिवाज़ नहीं है ;
मैं सुख पर, सुषमा पर रीझा
इसकी मुझको लाज नहीं है I
       -डॉ. हरिवंश राय बच्चन

خود بگچوں کی شیر کرو
دنیا -جہاں کو ریگستانو میں بھٹکنے کی نصیحت دو
میرے خاندان کا رواز نہیں
اگرچے میں کوبصورتی پر فدا ہا
مجھے اسکے حیاء نہیں                  - دوکتور حرونش رہے بچچاں


Yourself dwell in the cool shadow of an oasis
Preach others to roam in deserts
Is not the tradition of my family
I do adore the Bliss of Beauty
But I am not ashamed
-  Dr. Harivansh Ray Bachchan

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